निबन्ध संग्रह मे संकलित रिक्तता ओ पूर्णताक रचयिता वैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’ छलाह। ज्योतिरीश्वर आ विद्यापति युग सँ लए मनबोध, चन्दा झा, सीताराम झा प्रभृति अनेक महाकविक नाम लेल जाइछ। किन्तु आधुनिक युग मे ओकरा तीव्रतम गति देलेन्हि वैद्यनाथ मिश्र यात्री। आगां चलि प्रगतिवादी कवि आ लेखक वैद्यनाथ मिश्र यात्री केँ ‘नागार्जुन’ नाम सँ जानल गेल। अपन गाम घरक भार सँ अपना केँ सतत कात रखबाक चेष्टा मे रत रहनिहार फक्कड़ व्यक्तित्व, सतत प्रयत्नशील, समाज संस्कारक रग रग केँ परखए वाला पारखी व्यक्तित्व, रुढ़ि भंजक, श्रम शक्तिक पूजक, व्यवस्थाक विद्रोही, नवीन पीढ़ीक प्रति आबेसी व्यक्तित्व।
‘चित्रा’ आ ‘पत्रहीन नग्न गाछ’ कविता संग्रहक अतिरिक्त ‘पारो’, ‘नवतुरिया’ आ ‘बलचनमा’ हिनक उपन्यास अछि। ‘पत्रहीन नग्न गाछ’ कविता संग्रह केँ साहित्य अकादमी पुरस्कार सेहो भेटल अछि। डा.शैलेन्द्र मोहन झा लिखैत छथि जे – यात्रीजीक कविता मे विचित्र विविधताक दर्शन होइछ। डा.दुर्गानाथ झाक अनुसारें – मैथिली साहित्य मे हिनकहि टा भाषा यथार्थ रुप मे लोकभाषा थिक। ‘बहुविवाह’ आ ‘बालविवाह’ मिथिलाक अभिशाप छल। ‘बूढ़ वर’ ओ ‘विलाप’ मे समाजक कोढ़ केँ यात्रीजी नीक जकाँ उकेरने छथि। पारो, नवतुरिया आ बलचनमा एहि तीनू उपन्यासक सर्जन कए यात्रीजी मैथिलीक शीर्षस्थ उपन्यासकार मे परिगणित भए गेलाह। एतबे नहि ‘रिक्तता ओ पूर्णता’ मे सेहो यात्रीजी अपन अमिट छाप छोड़ी देलेन्हि। रिक्तता ओ पूर्णता मे पोखरिक जल देवताक आत्मग्लानि, अभिमान आ पश्चाताप केँ बड़ नीक जकाँ उल्लेख कएलनि अछि। एहि मे पहिने जलदेवताक उत्कण्ठा भेलैन्हि जे पोखरि मे जल भरल रहबाक चाही। जखन पोखरि जलप्लावित भए गेल तँ अभिमान होएब देखाओल गेल। अभिमानक संचार होएतहि भुवन भाष्कर सँ जल देवता पोखरि केँ स्वच्छ करबाक लेल अनुनय विनय करैत छथि। आकाशवाणी होइत अछि जे ‘स्वच्छता’ ओ ‘पूर्णता’ दूहू मे सँ की चाही। तखन जल देवता द्वारा कहल गेल जे ‘देव, हमरा स्वच्छता चाही’। एहि तरहेँ देखल जाइछ जे यात्रीजी क रचना मेकी गद्य, की पद्य मिथिलाक माँटिक सोन्हगर गन्ध हिनक समस्त रचना मे प्रचूर रुपेँ भेटैछ।