बी.ए.खण्ड द्वितीय : Dr. Prashant Kumar

डा.प्रशान्त कुमार मनोजसहायक अतिथि प्राध्यापक,मैथिली विभाग,एम एल टी कॉलेज सहरसा।

बी.ए.खण्ड द्वितीयआधुनिक मैथिली काव्य-साहित्य मे रंग-विरंगक गीत भाव आ भाषाक दृष्टिएँ आरसी प्रसाद सिंहक महत्वपूर्ण स्थान अछि। आरसी प्रसाद सिंह केँ जन्म समस्तीपुर जिलाक एरौत गाम मे 19 अगस्त 1911ई.मे भेल छल। ई बाल्यावस्था सँ विलक्षण प्रतिभाक धनी छलाह। हिनका मे कवित्व शक्ति जन्मजात छनि। ई हिन्दी मे काव्य रचना करबाक कारणेँ ओहि समयक अग्रगण्य कवि मानल जाइछ।                

 बाबू भुवनेश्वर सिंह ‘भुवन’क प्रेरणा सँ ई मैथिलीक दिस उन्मुख भेलाह। ‘शेफालिका’ हिनक पहिल कविता थिक। जे प्रकाशित होइते प्रसिद्ध भय गेल। ‘सुर्यमुखी’ काव्य-संग्रह पर हिनका साहित्य अकादमी द्वारा 1984 मे पुरस्कार भेटल छनि। मैथिली अकादमी द्वारा हिनका ‘विद्यापति’ पुरस्कार सेहो भेटल छनि। ‘माटिक दीप’ मे 29 गोट मुक्तक कविताक संकलन अछि जाहि मे मातृभूमि-मातृभाषा-वन्दना, देव प्रार्थना, ऋतु चित्रण, उद्वोधनात्मक, हास्य व्यंग्य मूलक, देशदशा संबंधी, प्रकृति वर्णन अछि।                           

मातृभाषाक प्रति हिनक जे भावना अछि, तकर परिचायक थिक ‘अधिकार’ शीर्षक कविता। जाहि मे अपना लेल भीख नहि मांगि न्यायोचित अधिकार मांगल गेल जेकरा क्यो रोकि नहि सकैछ। हिनक ‘माटिक दीप’ ओहि दीपशिखा सदृश अछि जकर शीतल आलोक मे मैथिली मंदिर चिरकाल धरि जगमगाइय रहत। ‘पूजाक फूल’ कविक दोसर काव्य कृति थिक। जाहि मे 30 गोट कविता संकलित अछि।                       

‘सूर्यमुखी’ मे देशदशा सूचक, उदबोधनात्मक, व्यंग्यात्मक, श्रृंगारिक, करुण गीत, गजल, छन्द समाहित अछि। इ कालिदासक ‘मेघदूत’क सफल अनुवाद कयने छथि। जे मिथिला मिहिर मे खण्डित भय प्रकाशित भेल छल।