मैथिलीक विकासक्रमक लघु उत्तरीय प्रश्न –
11. भौजी – एकर उत्पत्ति संस्कृतक ‘भातृजया’ सँ भेल अछि। ‘भातृ’ अर्थात् ‘भाय’ तथा ‘जाया’ अर्थात् ‘पत्नी’। एकर विकासक्रम अछि – भातृजया – भाउजा – भावजा – भावज – भाउज – भौजी।
12. भावहु – भावहु ‘भातृवधु’ तत्सम शब्द सँ विकसित अछि। ‘भातृ’ अर्थात् ‘भाय’ तथा ‘वधु’ अर्थात् ‘बहु’ वा पत्नी। मुदा ‘वधु’ शब्दक प्रयोग छोटक लेल होइछ। तेँ भातृवधु अर्थात् अनुज भ्राताक पत्नी। एकर विकासक्रम अछि – भातृवधु – भावबहु – भावहु।
13. मौसी – एकर मूल संस्कृत ‘मातृवसा’ शब्द अछि। कोनो कोनो विद्वान ‘मौसीक’ आधार हिन्दीक ‘मासी’ शब्द मानैत छथि। मायक बहिन माय जकाँ होएबाक कारणेँ ओकरा लेल ‘मासी’ शब्द लागू भेल। जेना मायक घर लेल हिन्दी मे ‘मायका’ शब्द रुप भए गेल अछि। मुदा ई ओतेक समीचीन नहि बूझि पड़ैछ। एकर विकासक्रम अछि – मातृवसा – माउच्छिया – माउच्छा – माउस्सिया – माउसिया – मौसी।
14. पितिऔत – ‘पितिऔतक’ अर्थ होइछ पिताक भायक पुत्र। एकर विकासक्रम अछि – पितृव्यपुत्र – पित्तिअउत्त – पितिअउत – पितिऔत।
15. अलमुनियाँ – ई एल्युमिनिआ आंग्ल शब्द सँ विकसित अछि। अनपढ़ लोकनिक मुँह सँ आंग्ल शब्द जे स्वन ओ स्वनिक अभिरचनाक दृष्टि सँ मैथिली शब्द सँ नितांत भिन्न प्रकृतिक शब्द छल। जकरा अपना अनुसार मुख – सुख द्वारा मैथिली ध्वनि प्रणाली मूल शब्दक विकृत कए अपना लेलक। एकर विकासक्रम अछि – एल्युमिनिआ – अलमुनियाँ।
16. सिलौट – ‘सिलौट’ संस्कृत ‘शिलापट्टक’ अर्थ संकुचितक विकसित रुप अछि। शिलापट्ट अर्थात् पाथरक लम्बा चौड़ा टुकड़ा। मुदा आब सिलौटक अर्थ अछि मसल्ला पीसबाक लेल प्रयुक्त पाथरक ‘पट्ट’। एकर विकासक्रम अछि – शिलापट्ट – सिलवट्ट – सिलोट – सिलैट।
17. अइपन – पिठार सँ पृथ्वी पर बनाओल चित्र विशेष – उरिपन, अड़िपन, अइपन, अइयपन, ऐपन आदि। सभ ‘अइपन’ शब्दहिक विभिन्न रुप थिक। संस्कृत मे अलिम्पन शब्द शतपथ ब्राह्मण, हरिवंश, सुश्रुत, महाभारत, श्री मदभगवत कथा, साहित्यसार आदि मे सर्वत्र भिन्न अर्थ मे छैक। केवल कोष समहिता (अमर , इलायुद्ध आदि) मे अइपनक अर्थ मे छैक। एकर विकासक्रम अछि – आलिम्पन – आलिम्पण – अरिपन – अइपन। केओ – केओ ‘अहिफन’ क (सांपक फन) सँ एकर उत्पत्ति कहैत छथि।
18. फज्जति – ई शब्द फारसी मूलक अछि। मैथिली मे अएला पर एहि प्रकारें आत्मसंस्कार कए लेलक जाहि सँ मैथिली मे ठीक सँ खपि सकए। एहि मे स्वन परिवर्तनक द्वारा ‘फ्’ ‘फ’ भए गेल अछि।एकर विकासक्रम एहि तरहें अछि – फजीहत – फज्झति।
19. माँछी – मूल तत्सम शब्द ‘भक्षिका’ सँ निःसृत भए माँछी भेल अछि। एकर विकासक्रम अछि – भक्षिका – मच्छिया – मच्छि – माछी – माँछी।’क्ष’, ‘छ’ मे परिवर्तित भए गेल आ मैथिली मे अनुनासिक अत्यधिक ग्राह्य होएबाक कारणेँ ‘मा’ दीर्घ अनुनासिक भए गेल।
20. टीसन – ई आंग्ल शब्द स्टेशनक अपभ्रंश थिक। ‘स्टेशन’ भारतीय भाषा आओर बोली मे ‘इस्टेशन’ मे ‘इ’ क आगम, ‘सटेशन’ मे ‘अ’ क आगम, ‘टेसन’ मे ‘ स’ क लोप आओर ‘ट’ मे ‘ऐ’ क स्थान पर मुखसुखक कारणेँ ‘ई’ क आगम आदि कतेक रुप भेटैछ। तखन ई ‘टीसन’ शब्द प्रचलित भेल अछि।एकर विकासक्रम अछि – स्टेशन – सटेशन – टेसन – टीसन।