वर्णरत्नाकर मैथिलीक सभ सँ प्राचीन गद्य ग्रन्थ अछि। वर्णरत्नाकरक रचयिता थिकाह कविशेखराचार्य ज्योतिरीश्वर ठाकुर। ज्योतिरीश्वर ठाकुर वर्णरत्नाकर, धूर्तसमागम आ पंचशायक ग्रन्थक रचना कएलन्हि। रंगशेखर नामक रचनाक उल्लेख सेहो भेटैछ। हिनक समयक प्रसंग मे विद्वान लोकनिक बीच मतभेद अछि। ज्योतिरीश्वर धूर्तसमागमक प्रस्तावना मे लिखने छथि जे – “रामेस्वरस्य पौत्रेण तत्रभवतः पवित्रकीर्तेर्धीरेश्वरस्यात्मजेन महाशासनश्रेणिशिखरभ्रामत्पलीजन्मभूमिना कविशेखराचार्यज्योतिरीश्वरेण निजकुतूहलविरचित धूर्तसमागमनाम प्रहसनमभिनेतुमादिष्टोस्मि।”
एहि सँ स्पष्ट अछि जे ओ पालीमूलक वंश मे धीरेश्वरक पुत्र ओ रामेश्वरक पौत्र रुप मे जन्म ग्रहण कयने छलाह। ज्योतिरीश्वरक जीवनकाल तेरहम शताब्दीक अन्तिम ओ चौदहमक द्वितीय चरण धरि निर्धारित कयल जाइछ। अवदात कुल मे जन्म, विद्वत् परिवार मे पोषक, राजपण्डित रुप मे पदप्रतिष्ठा, मीमांसा दर्शनक विज्ञता सँ श्रोत कर्म मे अभिनिबेव, तत्कालीन मिथिलाक स्मार्त वातावरणक परिवेश, साहित्य संगीत कलाक प्रति आवेश कविशेखरक व्यक्तित्व केँ उजागर करैछ। कविशेखर वर्णरत्नाकर केँ चौदहम शताब्दीक चारिम दशक मे लिखलैन्हि। भाषाक दृष्टिएँ वर्णरत्नाकर महत्वपूर्ण ग्रंन्थ अछि। खण्डित रुपेँ उपलब्ध रहितहुँ कहल जा सकैछ जे “लुप्तेषु पृष्ठेषु बहुष्वकालैरद्यापि रत्नाकर एव ग्रंन्थः”।
मध्याह्न वर्णना मे – “दिनक दीर्घता, रात्रिक संकोच, पृथ्वीक कर्कशता, रौद्रक तीक्ष्णता, चातकक तृषा, जलाशयक दारिद्रता, दावानलक प्रचण्डता, पर्वतक सड़्कोच संकोच, असंतुष्टि तृषा, उष्मक बाहुल्य, पवनक वाञ्छा, शीतक उत्कण्ठा, एवम्बिध ग्रीष्म मयक मध्याह्न देषु”।
संध्या वर्णना मे – “भ्रमरन्हि पद्य त्यजल आदित्य केँ भञे नुकाएल अन्धकार, धुमक सम्भार, गोक सञ्चार, चटकक कोलाहल, नक्षत्रक उद्गम, दीपक उद्योत, पथिकक विश्राम, खद्योतन्हिक तरंग कौशिकक सञ्चार, युवतिन्हिक उत्कण्ठा, युवजनक अभिलाष, भोगिजनक द्वितीय भोजनक उद्यम, नओवतिक सम्पूर्ण्णता प्रभृति सन्ध्या देषु”।
अन्धकार वर्णना – “पाताल अइसन दुःप्रवेश, स्त्रीक चरित्र अइसन दुर्लक्ष्य, कालिन्दीक कल्लोल अइसन मांसल, काजरक पर्व्वत अइसन निविल। पापक सहोदर अइसन शरीर, आतंकक नगर अइसन भयानक, कुमन्त्र अइसन निफल, अज्ञान अइसन सम्मोहक, मन अइसन सर्व्वतोगामी, अहंकार अइसन उन्नत, परद्रोह अइसन अभव्य, पाप अइसन मलिन, एवम्बिध अतिव्यापक, दुःसञ्चर दृष्टिबन्धक, भयानक, गम्भीर, शुचिभेद, अन्धकार देषु”।चन्द्रमा वर्णना – “निशा नाइकाक शंखवलय अइसन, आकाश दीक्षितक कमण्डल अइसन, चन्द्रकान्त प्रभा अइसन, तारकाक सार्थवाह अइसन, श्रंगार समुद्रक कल्लोल अइसन, कुमुदवनक प्राण अइसन, लोक लोचनक रसायन, एवम्बिध चन्द्र उदित भउअह”।वर्षारात्रि वर्णना – “पातक शब्दे तरुज्ञान, दर्दुरक शब्दे जलाशय ज्ञान, चटकक शब्दे वनज्ञान, झिकरुआक शब्दे पृथ्वी ज्ञान, मेघक शब्दे आकाश ज्ञान, मनुष्यक शब्दे गृहज्ञान, अग्निक द्योते पुरज्ञान, चरणक शब्दे पथज्ञान, बचनक शब्दे परापर ज्ञान, विज्ञजनहु दिगभ्रम ज रात्री”।वर्णरत्नाकरक प्रथम कल्लोल मे – नगर वर्णना। द्वितीय कल्लोल मे – नायक वर्णना, नायिका वर्णना, सखी वर्णना, नायिका हास्य वर्णना। तृतीय कल्लोल मे – स्थान वर्णना, श्रमहर वर्णना, शयन वर्णना, प्रभात वर्णना, मध्याह्न वर्णना, संध्या वर्णना, वर्षा रात्री वर्णना, अन्धकार वर्णना, चन्द्रमा वर्णना, मेघ वर्णना। चतुर्थ कल्लोल मे – वसन्त वर्णना, ग्रीष्म वर्णना, वर्षा वर्णना, शरद वर्णना, हेमन्त वर्णना, शिशिर वर्णना, चतुःषष्टिकला वर्णना, षोडश महादान वर्णना, रत्न वर्णना, अथोपमणि वर्णना, वस्त्र वर्णना, देशीय वस्त्र वर्णना, निर्व्भूषण वस्त्र वर्णना, नेत वर्णना, अथभिषेक वर्णना, वस्त्र गृह वर्णना, ज्योतिव्विदवर्णना, द्यूत वर्णना, वेश्या वर्णना, कुट्टनी वर्णना, कामावस्या वर्णना। पञ्चम कल्लोल मे – प्रयानक वर्णना, अथाषेटक वर्णना, वन वर्णना, उपवन वर्णना, सरोवर वर्णना, पोखरा वर्णना, पर्व्वत वर्णना, ऋष्याश्रम वर्णना। षष्ठ कल्लोल मे – भाट वर्णना, मल्लयुद्ध वर्णना, विद्या वन्त वर्णना, नृत्य वर्णना, पात्रनृत्य वर्णना, प्रेरणा नृत्य वर्णना, वीणा वर्णना। सप्तम कल्लोल मे – श्मशान वर्णना, मरुस्थल वर्णना, समुद्र वर्णना, तीर्थ वर्णना, नदी वर्णना, ऋषि वर्णना, पर्व्वत वर्णना, चौरासी सिद्ध वर्णना, दशावतार वर्णना, अष्ट मूर्ति वर्णना, नवग्रह वर्णना, अष्टावसु वर्णना, एकादश रुद्र वर्णना, विश्वेदेव वर्णना, मनु वर्णना, सांध्य वर्णना, उनचास वायु वर्णना, द्वादशादित्य वर्णना, अष्ट दिग्गज वर्णना, अष्टादश पर्व वर्णना, अष्ट दिक्पाल वर्णना, अष्टादश पुराण वर्णना, राजपुत्र कुल वर्णना, छत्तीशदण्डायुध वर्णना, देश वर्णना, वहित्र वर्णना, राज्य वर्णना, विवाह वर्णना, द्वादश पुत्र वर्णना, अष्ट नायिका वर्णना, वणिक पुत्र वर्णना, चौर वर्णना, दुर्ग वर्णना, नौका वर्णना, वैद्य वर्णना, वोहित वर्णना, पुनर्ब्भोजन वर्णनाक उल्लेख अछि।