विद्यापतिक तीन रुप’ शीर्षक निबंधक वर्णन – डा.प्रशान्त कुमार मनोज

डा.प्रशान्त कुमार मनोज, सहायक अतिथि प्राध्यापक,मैथिली विभाग, एम.एल.टी.कॉलेज सहरसा।
बी.ए.(प्रतिष्ठा), षष्ठ पत्र।’विद्यापतिक तीन रुप’ शीर्षक निबंधक वर्णन:-‘विद्यापतिक तीन रुप’ शीर्षक निबंधक रचनाकार पंडित रमानाथ झा एहि निबंध मे विद्यापतिक तीन रुप कवि, भक्त आ महापुरुषक रुप मे वर्णन कएने अछि। पं.रमानाथ झाक कहब छैन्हि जे महाकवि विद्यापति अद्भुत प्रतिभा सम्पन्न कवि छलाह। हुनका मे भावक मर्मवाणी केँ अभिव्यक्त करबाक अद्भुत क्षमता रहैन्हि। जनभाषा मे रचना करब हुनक विशेषता छैन्हि। ओ मानव हृदयक मूलभूत भावना केँ नैसर्गिक भाव आ भावावेश केँ सुक्ष्मता सँ वर्णन आ चित्रण कएलनि। कवि विद्यापति अदम्य रुप पिपासाक साथ साथ रुप चित्रण मे सिद्धस्त छलाह। ऐन्द्रिय आनंदक एहन वर्णन, एहन रंग कोनहुंं साहित्य मे नहि भेटत।  मैथिली साहित्य मे सौंदर्य किंबा आत्मिक सौंदर्यक विलक्षण चित्र ओ उपस्थित कएने छथि। नारी सौन्दर्यक सुक्ष्म वर्णनक कारणें एखनहुँ धरि विद्यापति नारीक कंठहार बनल अछि।                               

   महाकवि विद्यापतिक दोसर रुप भक्ति भावनाक अछि। हुनक कविता मे ईश्वर भक्तिक प्रचूरता अछि। ईश्वर भक्तिक प्रबलताक कारणें चैतन्य महाप्रभु हिनक पद गाबि भाव विभोर भए जाइत छैन्हि। एखनहुँ मिथिलाक भक्त डमरू बजाय विद्यापतिक भक्ति गीत गबैत नाचि नाचि भाव विभोर भए जाइछ। शिव, माता भगवती, विष्णु, पतित पावनी गंगा सहित आन देवताक भक्ति गीत प्रचलित अछि।                            

महाकवि विद्यापति कवि आ भक्तक संग महापुरुष छलाह जे अपन लेखनी केँ जनभाषा मे रचना कय अपन भावना के मूर्तरूप देलन्हि। हुनक कहब छैन्हि जे शास्त्र विद्या सँ पैघ शस्त्र विद्या अछि जाहि सँ राष्ट्र पुर्णतः सुरक्षित रहैछ। कवि विद्यापति विराट व्यक्तित्वक संग महान तत्वदर्शी आ कर्मयोगी छलाह।मैथथ