कविवर चन्दा झाक आविर्भाव उन्नैसम शताब्दीक पूर्वाद्ध मे मैथिली साहित्यिक लेल अत्यंत महत्वपूर्ण मानल जाइछ। यद्यपि मनबोधक कृत ‘कृष्ण जन्म’ सँ मैथिली साहित्य मे प्रबंध काव्यक रचनाक परंपरा प्रारंभ भेल छल मुदा महाकाव्यक विभिन्न श्रवण सँ समन्वित पैघ आ कल्याणकारक पहिल रचना जाहि मे जीवनक सर्वांगीण चित्रण भेल हो से अछि कवीश्वर चन्दा झा कृत रामायण। अयएव विद्यापतिक पश्चात मैथिली भाषा ओ साहित्य के एक नवीन दिशा देनिहार साहित्यकारक रुप मे कवीश्वर चन्दा झि चिरकाल धरि विख्यात रहताह। हिनक रचना मे लोकोक्तिक प्रयोग, विभिन्न छन्दक विन्यास, सहज सरल लोक प्रचलित भाषाक प्रयोग आ भाव धाराक स्वाभाविक गति सर्वत्र दृष्टिगोचर होइछ। अतिरिक्त एकर ई अनुसंधानक व्यसनि, मैथिली गद्य साहित्यक विकास मे रुचि रखनिहार, आ पारंपरिक चाटूकारिता सँ भिन्न सामाजिक जीवनक आलोचनात्मक प्रवृत्ति सँ मैथिली काव्य रचनाक क्षेत्र मे नव जागरणक क्षेत्र मे सूत्रपात कएनिहार थिकाह। अतएव ई लोकप्रिय तँ छथिए संगहि संग मैथिली साहित्य के नवीन गति देनिहार साहित्यकारक रुपें विख्यात सेहो छथि। चन्दा झा सँ पूर्व मैथिली आ मिथिला मे कृष्ण काव्यक प्रधानता छल।परन्च देशक चारित्रिक आदर्श कें अनुप्राणित करबाक हेतु समाज केँ कर्तव्य मार्ग दिश आरुढ़ करबाक हेतु ‘रामक चरित्रक’ अवतरण मैथिली मे आवश्यक छल।वस्तुतः जाहि सांस्कृतिक संघर्षक आवश्यकता छलनि तकर ई अनिवार्य प्रक्रिया छल। कवि जीवन भरि साहित्य सेवा मे संलग्न रहलाह। संस्कृतक अतिरिक्त कविश्वर प्राकृत आ अवहट्टक सेहो मर्मज्ञ छलाह।संगहि ब्रज भाषा, अवधि एवं खड़ी बोलीक विशेषज्ञक रुपें प्रतिष्ठित छलाह। हिनक साहित्यिक कृतित्वक अवलोकन सँ बहुभाषाक ज्ञानक परिचय प्राप्त होइछ। पद्य ओ गद्य मैथिलीक ओ अनुदित प्रबंध ओ मुक्तक काव्य आ नाटक साहित्यिक रुप विधान हिनक लेखनीक स्पर्श सँ अनुप्रमाणित भेल। चन्दा झा केँ आधुनिक युगक प्रवर्तक मानल जाइत छनि। ई मैथिली मे रामायणक रचना कए साहित्य जगत मे क्रांति आनि देलक। एहि प्रकारें देखल जाइछ जे चन्दा झाक व्यक्तित्व बहुआयामी छल। ई मैथिलीक महाकवि तँ रहबे करथि, संगहि संस्कृतक प्रकाण्ड विद्वान सेहो रहथि। ई स्पष्टवादी एवं निर्भीक स्वभावक व्यक्ति छलाह।